सीख लेते कहाँ, कब, क्या गलत कर आये हम भूलों का अपनी गंभीर आकलन करते जब हम सीख लेते कहाँ, कब, क्या गलत कर आये हम भूलों का अपनी गंभीर आकलन करते जब हम
रूप पर जाने वाले बाहरी सुंदरता की ओर आकर्षित हो जाते हैं, रूप पर जाने वाले बाहरी सुंदरता की ओर आकर्षित हो जाते हैं,
यह विडम्बना नहीं आंतरिक शक्ति है स्त्री की। यह विडम्बना नहीं आंतरिक शक्ति है स्त्री की।
हे पंचतत्व तुमने अभी जिया ही कहाँ है, अमूल्य जीवन का रस पिया ही कहाँ है? हे पंचतत्व तुमने अभी जिया ही कहाँ है, अमूल्य जीवन का रस पिया ही कहाँ है?
बनी रहे नर के मन में नारियों के लिए श्रद्धाभक्ति ! बनी रहे नर के मन में नारियों के लिए श्रद्धाभक्ति !
रूप उसका एक ,नाम बस अनेक कभी ऐश्वर्या , कभी धान्यलक्ष्मी! रूप उसका एक ,नाम बस अनेक कभी ऐश्वर्या , कभी धान्यलक्ष्मी!